1 जुलाई से भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गये हैं, जिससे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा। ये नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम होंगे, जो क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे।
महत्वपूर्ण बदलाव और प्रावधान:
महिलाओं और बच्चों के लिए मुफ्त प्राथमिक उपचार: नए कानूनों में प्रावधान किया गया है कि महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा। इससे पीड़ितों को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिल सकेगी।
‘जीरो FIR’: किसी भी व्यक्ति को किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति मिलेगी, भले ही अपराध उस थाने के अधिकार क्षेत्र में न हुआ हो। इससे कानूनी कार्यवाही में देरी नहीं होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा।
न्याय प्रक्रिया में तेजी: आपराधिक मामलों में फैसले 45 दिन के भीतर आ जाएंगे और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाएगा और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर मिलनी होगी।
संगठित अपराध और आतंकवाद: नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है और सभी तलाशी तथा जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध: किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध माना जाएगा। नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है।
ऑनलाइन शिकायत और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम: नए कानूनों के तहत कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने जाए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है। इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज होगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।
गिरफ्तारी की सूचना: गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार होगा। गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा।
जांच प्रक्रिया: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच प्राथमिकता से की जाएगी और मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी। पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा।
गवाह सुरक्षा: सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य होगा ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जा सके।
समावेशिता और समानता: नए कानून में ‘लैंगिकता’ की परिभाषा में ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं।
इन नए प्रावधानों के माध्यम से न्याय प्रणाली को आधुनिक और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ,2023