Shikshalaw
Shpreme court of India
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के प्रयासों के साथ न्यायिक प्रक्रिया में आधुनिकीकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। ई-फाइलिंग सिस्टम से लेकर ऑनलाइन प्रतिष्ठान पोर्टल और न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी सुधारों ने सुप्रीम कोर्ट के काम को सुगम और आधुनिक बनाया है। इन प्रगतिशील सुधारों के साथ, सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट को कैसे काम करना चाहिए की दिशा में कुछ दूर तक पहुंचाने का काम किया। इसके समर्थन में आइए एक नजर डालें उन प्रगतिशील कदमों पर:
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सीजेआई के इस प्रयास में वह सुस्वागतम पोर्टल की शुरुआत कर रहे हैं, जिससे सुप्रीम कोर्ट में पहुंचना सरल हो जाता है। इसके माध्यम से पेपरलेस पास मिलते हैं, जिससे सुप्रीम कोर्ट की की लंबी कतिपयें समाप्त हो जाती हैं। यह नई पहल न केवल यात्रा को सरल बना रही है, बल्कि यह भी लोगों को लंबी पंक्तियों से मुक्ति प्रदान कर रही है, जो सुप्रीम कोर्ट की दरबार में पहुंचने की कठिनाई से परेशान थे।
आर्टिकल 370 के सुनवाई में सीजेआई ने सीधे कानूनी दलों से कहा था कि वे अपने लिखित तर्क और संबंधित दस्तावेज़ों को सुनवाई शुरू होने से पहले दो हफ्ते पहले ऑनलाइन सबमिट करें। यह न केवल समय की बचत करता है, बल्कि यह भी सुनवाई की तैयारी में सुधार करता है और न्यायिक प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाता है। उन्होंने एक नए चरण का परियोजना का भी परिचय किया, जिसका बजट 7000 करोड़ रुपये से अधिक है, ताकि न्यायपालिका को तकनीकी समर्थन मिले, विशेषकर निचले जिला न्यायालयों को। यह परियोजना न्यायिक प्रक्रिया को नए ऊर्जावान और सुगम तरीकों से संचालित करने का एक प्रयास है, जिससे सुधारित न्यायिक पहुंच और प्रक्रिया में अपडेट मिलेगा
सीजेआई ने कई मुद्दों पर निर्देश जारी किए हैं, जिसमें से एक में यह कहा गया है कि कोई भी उच्च न्यायालय किसी वकील को वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा या हाइब्रिड सुनवाई से वंचित नहीं करना चाहिए। एक और आदेश ने सभी हाईकोर्ट को सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी वकीलों और मुकदमेबाजों के लिए पर्याप्त इंटरनेट सुविधाएं, विशेषकर मुफ्त वाईफ़ाई, होनी चाहिए। इससे सुनवाई में शामिल होने वाले लोगों को सुन्दरता से तकनीकी समर्थन मिलेगा और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार होगा।